एसटीपी में क्लोरिन गैस के रिसाव से फैली अफरा-तफरी

ऋषिकेश। निर्माण अनुरक्षण इकाई गंगा के ऋषिकेश स्थित लक्कड़घाट में 26 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में शुक्रवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे क्लोरीन गैस के रिसाव से अफरातफरी मच गई। गैस लीक होते ही प्लांट में मौजूद कर्मचारी ही जान बचाने के लिए भागने लगे। सूचना पर दमकल और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची। करीब तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद टीम ने रिसाव को काबू कर सिलेंडर को पानी के टैंक में डाला गया। बताया गया है कि शुक्रवार की सुबह करीब 8:30 बजे प्लांट के कर्मचारी रोजाना की तरह दूषित पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन डोजिंग के लिए सिलेंडर बदल रहे थे। इसी बीच अचानक सौ किलो गैस क्षमता के क्लोरीन सिलेंडर से रिसाव शुरू हो गया। गैस लीक होते ही प्लांट में तैनात 25 कर्मचारियों में अफरातफरी मच गई। इसका पता आसपास के लोगों को चला तो वहां भी हड़कंप मच गया। सूचना पर एसडीआरएफ की सीबीआरएन रेस्क्यू टीम फायर बिग्रेड के साथ मौके पर पहुंची। उन्होंने सेफ्टी प्रॉटोकोल के तहत रिसाव को रोकने के प्रयास शुरू किए। दोपहर करीब 12 बजे तीन घंटे की मशक्कत के बाद बामुश्किल सिलेंडर की पूरी गैस रिलीज कर उसे पानी के टैंक में डाला गया।

सप्लाई वॉल में खराबी को बताया कारण :   ईएमआईटी जीडिशियल कंपनी के प्लांट प्रभारी विनीत बेनीवाल के मुताबिक रिसाव सप्लाई वॉल में तकनीकी खामी की वजह से हुआ है, जिसपर समय रहते काबू पा लिया गया। बताया कि सेफ्टी प्रॉटोकोल के अनुसार एसडीआरएफ, फायर बिग्रेड व अन्य सरकारी एजेंसियों को भी मौके पर बुलाया गया था। फिलहाल प्लांट पूरी तरह से सुरक्षित और सुव्यवस्थित दूषित पानी का ट्रीटमेंट कर रहा है।

सेहत के लिए खतरनाक है क्लोरीन गैस:   विशेषज्ञों के मुताबिक क्लोरीन गैस सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। हवा में गैस की मात्रा अधिक होते ही सांस लेने में दिक्कत के साथ, आंखों में जलन और त्वचा को नुकसान होता है। लगातार इस गैस के संपर्क में रहने से कैंसर जैसी घातक बीमारी तथा आधे घंटे से ज्यादा इस गैस के संपर्क में रहने से व्यक्ति की जान तक जा सकती है।

प्रधानमंत्री ने किया था प्लांट का उद्घाटन :   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2020 के 29 सितंबर को लक्कड़घाट में स्थापित 26 एलएलडी के एसटीपी का वर्चुअल उद्घाटन किया था। यह प्लांट ऋषिकेश और आसपास की आबादी के दूषित पानी को गंगा में गिरने से रोकने के लिए बनाया गया है, जिसमें रोजाना 18 एमएलडी सीवर के दूषित पानी का ट्रीटमेंट कर उसे गंगा में छोड़ा जा रहा है। पानी को साफ करने के लिए ही क्लोरिंग गैस की डोजिंग की जाती है। इस तरह के कई और प्लांट भी ऋषिकेश क्षेत्र में संचालित हैं, जिनमें चंद्रेश्वरनगर और ढालवाला का प्लांट शामिल है, जबकि, कई नए प्लांट व सीवर लाइन का कार्य भी इन दिनों ऋषिकेश में चल रहा है।
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सूचना मिलते ही तत्काल टीम आवश्यक उपकरणों के साथ मौके पर पहुंच गई थी। रिसाव पर पूरी तरह से नियंत्रण पाने के बाद ही प्लांट का संचालन भी संबंधित कंपनी ने शुरू कर दिया है। फिलहाल कोई खतरे की बात नहीं है। गैस की चपेट में प्लांट का कोई कर्मचारी भी नहीं आया है। -कविंद्र सजवाण, निरीक्षक, एसडीआरएफ
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प्लांट का विभागीय टीम समय-समय पर निरीक्षण करती है। इसमें संचालक कंपनी को सुरक्षा से जुड़े तमाम मानकों को भी परखा जाता है। इस तरह का मामला है, तो फिर से प्लांट का सघन निरीक्षण कर कंपनी प्रबंधन को सख्त दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। -एसके वर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर, नमामि गंगे