देश के विभिन्न हिस्सों से राज्य के गांवों में प्रवासियों के वापसी का क्रम

देहरादून। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तेज होने के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों से राज्य के गांवों में प्रवासियों के वापसी का क्रम बना हुआ है। 21 अप्रैल से 19 मई तक गांवों में 91352 प्रवासी लौट चुके हैं। इनमें से कितने लोग ऐसे हैं, जो पिछले साल परिस्थितियां सामान्य होने चले गए थे, इसे लेकर अब तस्वीर साफ होगी। उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग इसका अध्ययन कराने जा रहा है। आयोग के उपाध्यक्ष डा.एसएस नेगी के मुताबिक गांव लौटे प्रवासियों से संपर्क साधने की रणनीति तैयार की जा रही है। साथ ही उनसे यह भी पूछा जाएगा कि उन्हें किस क्षेत्र में महारथ हासिल है, ताकि इसी के दृष्टिगत उनके स्वरोजगार के लिए सरकार को सुझाव दिए जा सकें।
यह किसी से छिपा नहीं है कि उत्तराखंड के गांव लगातार पलायन का दंश झेल रहे हैं। राज्य गठन के बाद से अब तक 1702 गांवों का वीरान होना इसकी तस्दीक करता है। पलायन आयोग की रिपोर्ट बताती है कि ऐसे गांवों की बड़ी तादाद है, जहां आबादी अंगुलियों में गिनने लायक रह गई है। रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार के साधनों का अभाव और शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं न पसरने के कारण यहां के गांवों से बेहतर भविष्य की आस में मजबूरी में पलायन हो रहा है।
पिछले साल देश में कोरोना संकट के दस्तक देने के बाद विभिन्न राज्यों से प्रवासियों के वापस लौटने का सिलसिला शुरू हुआ तो गांवों की रौनक लौट आई थी। गत वर्ष 3.52 लाख प्रवासी राज्य के गांवों में लौटे थे। इससे गांवों की रंगत भी निखर आई थी। हालांकि, बाद में परिस्थितियां सामान्य होने के बाद 30 सितंबर तक इनमें से करीब पौने दो लाख लोग वापस चले गए थे। शेष ने गांवों में रहकर खेती, किसानी, पशुपालन समेत अन्य स्वरोजगार में हाथ आजमाया।
अब जबकि कोरोना की दूसरी लहर तेज होने के बाद परिस्थितियां पिछले साल जैसी हो गई हैं तो 21 अप्रैल से प्रवासियों की वापसी का क्रम फिर तेज हुआ है। इसे देखते हुए पलायन आयोग यह अध्ययन करने जा रहा है कि इन प्रवासियों में ऐसे कितने हैं, जो पिछले साल वापस चले गए थे। आयोग के उपाध्यक्ष डा.एसएस नेगी के अनुसार प्रवासियों से फोन पर संपर्क साधा जाएगा। इस दौरान यह भी पूछा जाएगा कि अब क्या वे गांव में रहकर ही स्वरोजगार करना चाहेंगे और किस क्षेत्र में। उन्होंने बताया कि यह अध्ययन पूर्ण होने के बाद प्रवासियों के कदम थामे रखने के मद्देनजर सुझाव सरकार को दिए जाएंगे। इसमें मुख्य फोकस मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना समेत अन्य योजनाओं में प्रवासियों को लाभान्वित कराने पर फोकस किया जाएगा।