हिमाचल विधानसभा चुनाव: दो दर्जन महिला दावेदारों में से सिर्फ एक महिला पहुंची विधानसभा
शिमला। हिमाचल प्रदेश में इस विधानसभा चुनाव में 412 प्रत्याशी मैदान में थे। इसमें से 24 महिला प्रत्याशी थीं। प्रदेश में इस बार सिर्फ एक महिला पच्छाद से भाजपा की रीना कश्यप चुनकर विधानसभा पहुंची हैं। वहीं, तीन निर्दलीयों ने भी जीत का परचम लहराया है। 2017 के चुनाव में तीन महिलाएं जीतकर विधानसभा पहुंची थीं। इंदौरा सीट से रीता देवी, भोरंज से कमलेश कुमारी, डलहौजी से आशा कुमारी जीती थीं। वहीं, दूसरी तरफ 2019 में पच्छाद में हुए उपचुनाव में रीना कश्यप को भाजपा ने पहली बार पार्टी का टिकट दिया और वह जीत दर्ज कर विधानसभा में पहुंची। हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार के गृह विधानसभा क्षेत्र पच्छाद में इस बार भाजपा व कांग्रेस की दो महिला प्रत्याशियों की राह में निर्दलीय उम्मीदवार गंगूराम मुसाफिर थे। भाजपा प्रत्याशी रीना कश्यप को 21215 वोट मिले और कांग्रेस प्रत्याशी दयाल प्यारी को 17358 वोट मिले। रीना कश्यप ने 3857 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है।
दूसरी बार चुनावी मैदान में रीना कश्यप
2019 में पच्छाद में हुए उपचुनाव में रीना कश्यप को भाजपा ने पहली बार पार्टी का टिकट दिया और वह जीत दर्ज कर विधानसभा में पहुंचीं। उस समय विधायक सुरेश कश्यप लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे थे। इसके चलते यहां उपचुनाव हुए थे। 2022 के इस चुनाव में भी भाजपा ने रीना को भी पार्टी प्रत्याशी बनाया और जीत दर्ज की।
पच्छाद विस सीट इस वजह से दिलचस्प
पच्छाद विधानसभा सीट हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार का गृह क्षेत्र रही है। 1952 में डॉ. परमार यहां से पहली बार विधायक बने थे। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप भी इसी विधानसभा क्षेत्र से आते हैं। वह भी यहां से दो मर्तबा विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। इसके अलावा इस विधानसभा क्षेत्र से लगातार 7 बार मुसाफिर विधायक रहे चुके हैं, लेकिन 2007 के चुनाव के बाद से उन्हें लगातार हार का मुंह देखना पड़। इस बार वह निर्दलीय चुनाव लड़े थे।
हमीरपुर सदर सीट
हमीरपुर सदर से पिछले 11 चुनावों की बात करें तो यहां नौ बार भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव जीता, जबकि महज दो बार ही कांग्रेस को इस सीट पर सफलता मिल पाई है। लेकिन इस बार इस सीट पर निर्दलीय आशीष शर्मा ने जीत हासिल की है। निर्दलीय आशीष शर्मा ने कांग्रेस के नरेंद्र ठाकुर को 12, 899 मतों से हराकर जीत दर्ज की है।
देहरा सीट
15 सालों के चुनावी इतिहास में कांग्रेस पार्टी अब तक यहां जीत का खाता नहीं खोल पाई है। 2012 में भाजपा प्रत्याशी रविंद्र रवि ने यहां जीत दर्ज की। वहीं 2017 में यहां निर्दलीय प्रत्याशी होशियार सिंह ने रविंद्र रवि को हराया। अब इस बार भी निर्दलीय होशियार सिंह ने कांग्रेस से डॉ. राजेश शर्मा को 33877 वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की।
नालागढ़
नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशी केएल ठाकुर ने जीत दर्ज की है। इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने कांग्रेस और भाजपा के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। 2017 में कांग्रेस से लखविंद्र सिंह राणा विधायक बने थे। लेकिन चुनाव से दो माह पूर्व लखविंद्र सिंह राणा कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए। इससे पहले वर्ष 2012 में भाजपा के प्रत्याशी केएल ठाकुर यहां से विधायक चुने गए थे। लेकिन इस वर्ष उन्हें टिकट नहीं मिला और वह बागी हो गए। वर्ष 2003 और 2007 में भाजपा के हरिनारायण सैणी चुनाव जीते थे। वर्ष 2011 में इनके निधन के बाद यहां पर उपचुनाव हुए जिसमें कांग्रेस के विधायक लखविंद्र सिंह राणा ने हरिनारायण सिंह सैणी की पत्नी गुरनाम सिंह को पराजित कर कांग्रेस को जीत दिलाई थी। इस बार निर्दलीय प्रत्याशी केएल ठाकुर ने कांग्रेस के हरदीप सिंह बावा को 13264 मतों से हराकर विजयी हुई हैं।