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MT1 सैटेलाइट को नष्ट करेगा भारत:ये UNIADC की गाइडलाइन, वेदर स्टडी के लिए लॉन्च किया था

7th March,2023:    इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) मंगलवार शाम 4:30-7:30 बजे के बीच सैटेलाइट मेघा-ट्रॉपिक्स-1 (MT1) को प्रशांत महासागर में गिराकर नष्ट करने वाला है। इसके लिए अगस्त से तैयारी की जा रही थी। संयुक्त राष्ट्र की स्पेस डेब्रिस एजेंसी (UNIADC) की गाइडलाइन का पालन करने के लिए ऐसा हो रहा है।

बता दें कि इस सैटेलाइट को ISRO ने फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी CNES के साथ मिलकर 12 अक्टूबर 2011 को ट्रॉपिकल वेदर व जलवायु की स्टडी करने के लिए लो ऑर्बिट में लॉन्च किया था। हालांकि इसे 3 साल के लिए स्पेस में भेजने की योजना बनाई गई थी लेकिन 2021 तक जलवायु के बारे में महत्वपूर्ण डेटा दे रहा था इसलिए इसकी समय सीमा को बड़ा दिया गया था।

MT1 को क्यों नष्ट किया जा रहा है
ISRO का UNIADC के साथ 10 साल के लिए स्पेस में रखने का कमिटमेंट हुआ था। UNIADC की गाइडलाइन के तहत किसी भी सैटेलाइट को उसकी लाइफ खत्म होने के बाद ऑर्बिट से हटाकर नष्ट करना होता है। सैटेलाइट को गिराने या नष्ट नहीं करने पर विकल्प यह है कि इसे अपनी आर्बिट में ऐसे ही छोड़ दिया जाए ताकि यह अपने आप ही खत्म हो जाए।

सैटेलाइट को प्रशांत महासागर में पांच डिग्री साउथ से 14 डिग्री साउथ के लैटीट्यूड और 119 डिग्री वेस्ट से 100 डिग्री वेस्ट के बीच में कहीं पर गिराया जाएगा।

कोई हादसा नहीं हो इसलिए इसे गिराया जा रहा
MT1 का वजन लगभग 1000 किलोग्राम है। आमतौर पर री-एंट्री के दौरान सैटेलाइट के किसी भी बड़े टुकड़े के एरोथर्मल हीटिंग से बचने की संभावना नहीं है। टारगेटेड सुरक्षित जोन के भीतर इम्पैक्ट सुनिश्चित करने के लिए नियंत्रित री-एंट्री में बहुत कम ऊंचाई पर डीऑर्बिटिंग की जाती है। लेकिन MT1 को वापस आने के हिसाब से नहीं बनाया गया था। लिहाजा, इससे कोई हादसा नहीं हो इसलिए इसे गिराया जा रहा है।

यह धरती से करीब 874 किलोमीटर ऊंचाई पर 20 डिग्री एंगल पर झुक कर चक्कर लगा रहा था। इसके पास करीब 125 किलोग्राम ईंधन बचा है। जो इसे धरती पर वापस लाने के लिए पर्याप्त है। इसे ऐसी जगह गिराया जाएगा जहां कोई रहता नहीं हो। इसलिए प्रशांत महासागर में एक जगह को चुना गया है।

 

courtesy: dainik bhaskar